हम यह जानते ही हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है । कृषि ही भारत की आय का मुख्य स्रोत है । ऐसी अवस्था में किसान ही भारत की रीढ़ की हड्डी समझा जाना चाहिए और गाय किसान की सबसे अच्छी मित्र है । गाय के बिना किसान व भारतीय कृषि अधूरी है। किंतु वर्तमान परिस्थितियों में किसान और गाय दोनों की स्थिति हमारे भारतीय समाज में दयनीय है। एक समय वह भी था जब भारतीय किसान कृषि के क्षेत्र में पूरे विश्व में सर्वोपरि था इसका कारण केवल गाय है । *भारतीय गाय के गोबर से बनी खाद की कृषि के लिए सबसे उपयुक्त साधन है। गाय का गोबर किसान के लिए भगवान द्वारा प्रदत एक वरदान है । खेती के लिए भारतीय गाय का गोबर अमृत के समान है इसी कारण भारत भूमि सहस्त्र वर्षों से सोना उगलती आ रही है । किंतु हरित क्रांति के नाम पर रासायनिक खेती द्वारा भारतीय कृषि को नष्ट कर दिया गया है ।
अमृत है गाय का घी
गाय के घी में ऐसे औषधिय गुण होते हैं जो और किसी चीज़ में नहीं मिलते। यहाँ तक की इसमें ऐसे माइक्रोन्यूट्रींस होते हैं जिनमें कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है। और तो और अगर आप धार्मिक नजरिये से देखते हैं तो घी से हवन करने पर लगभग 1 टन ताजे ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने तथा धार्मिक समारोहों में यज्ञ करने कि प्रथा प्रचलित है।
गाय का दूध
गाय के दूध में ओमेगा- 3 फैटी एसिड मौजूद होता है, जो एक गुड फैट है। इस दूध को पीने से हार्ट संबंधित समस्याएं नहीं होती हैं। दिल स्वस्थ रहता है।
यदि आप अपना वजन कम करना चाहते हैं, तो गाय का दूध पिएं। यह दूध शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने का काम करता है, जिससे भूख कम लगती है। गाय के दूध से प्रोटीन, ऊर्जा प्राप्त होती है, जिससे एक्सरसाइज करने के समय शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती रहती है। वजन कम करना है, तो लो फैट वाला गाय के दूध का सेवन करें।
देसी गाय के दूध में पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, कैल्शियम, विटामिन ई, जिंक, सेलेनियम आदि होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। इस दूध को पीकर आप अपनी इम्यूनिटी बूस्ट कर सकते हैं, जिससे लंबी उम्र तक स्वस्थ बने रह सकते हैं।
भारतीय गाय के गोबर की खाद का गमलों व भूमि पर लाभ दायक प्रभाव
- मिट्टी में भौतिक सुधार ।
- मिट्टी में वायु संचार बढ़ता है।
- मिट्टी में जलधारण व् जल सोखने की क्षमता बढ़ती है।
- मिट्टी में ताप का स्तर सुधरता है।
- पौधों की जड़ों का विकास अच्छा होता है।
- मिट्टी के कण एक-दुसरे से चिपकते हैं। मिट्टी का कटाव कम होता है।
- भारी चिकनी मिट्टी तथा हल्की रेतीली मिट्टी की संरचना का सुधार होता है।
मिट्टी के रासायनिक गुणों का प्रभाव
- पौधों को पोषक तत्व अधिक मात्रा में मिलते हैं।
- मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ती है।
- मिट्टी की क्षार विनिमय क्षमता बढ़ जाती है।
- मिट्टी में पाये जाने वाले अनुपलब्ध पोषण तत्व, उपलब्ध पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है।
- पोटेशियम व फास्फोरस सुपाच्य सरल यौगिकों में आ जाते हैं।
- पौधों की कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैगनीज व सूक्ष्म तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है।
- कार्बनिक पदार्थ के विच्छेदन से कार्बनडाई ऑक्साइड मिलती है। अनेक घुलनशील कार्बोनेट व बाईकार्बोनेट बनाती है।
मिट्टी के जैविक गुणों पर प्रभाव
- मिट्टी में लाभदायक जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है।
- लाभदायक जीवाणुओं की क्रियाशीलता भी बढ़ती है।
- अनेक जीवाणु मिट्टी से पोषक तत्व लेकर पौधों को प्रदान करते हैं।
- जीवाणुओं द्वारा वातावरण की नाइट्रोजन का स्थिरीकरण अधिक होता है।
- जीवाणु जटिल नाइट्रोजन को अमोनिया नाईट्रेट आयन्स में बदलते है। नाइट्रोजन का यही रूप पौधों द्वारा ग्रहण किया जाता है।
- इन सबसे ज्यादा जरूरी हमारी गौ माता के पालन पोषण मैं मदद मिलती है ।